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अमिताव घोष

श्री अमिताव घोष का जन्म (1956) कलकत्ता में हुआ। बचपन ढाका और कोलम्बो में बीता। दिल्ली विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में एम.ए. तथा आक्सफ़ोर्ड से सामाजिक विज्ञान में डी.फिल. करने के बाद उन्होंने त्रिवेन्द्रम तथा दिल्ली में अध्ययन कार्य किया तथा वर्जीनिया, कोलम्बिया और पेनसिलवानिया विश्वविद्यालय में अतिथि प्रोफ़ेसर रहे।

अमिताव घोष ने अपनी पहचान अपने पहले उपन्यास द सर्कल ऑफ रीजन से ही बना ली थी। उनका दूसरा उपन्यास द शैडो लाइन्स (1988) छपने के बाद बेहद चर्चित हुआ। देश-विदेश के कई समीक्षकों ने इसको एक उल्लेखनीय उपलब्धि माना। संघर्ष की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में लिखा यह उपन्यास एक जागरूक नागरिक की राजनीतिक स्वतंत्रता और राष्ट्रीयता की बेहद ज़रूरी पड़ताल है। इसकी कथावस्तु एक ऐसी दुनिया में ले जाना चाहती है जिसे नायक ने अपनी स्मृतियों और स्वप्नों से बुना है लेकिन देश-काल का यथार्थ उसे अपने खूँटे से बाँधे रखना चाहता है। अनुभूति की सघनता, ऐन्द्रिय और मानवीय संस्पर्श और संवदेना तथा परिवेश की निपुण पुनर्रचना के लिए उक्त कृति साहित्य अकादेमी द्वारा वर्ष 1989 के लिए श्रेष्ठ अंग्रेज़ी कृति के नाते सम्मानित हुई थी। द एन्टीक लैण्ड और द कलकत्ता क्रोमोज़ोम श्री घोष की अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियाँ हैं।

छाया रेखा (द शैडो लाइन्स) का प्रस्तुत एवं प्रभावी अनुवाद हिन्दी के सुपरिचित लेखक और संचार माध्यम जगत के विशिष्ट हस्ताक्षर श्री उमेश दीक्षित ने किया है।

छाया रेखा

अमिताव घोष

मूल्य: Rs. 115

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